सुरीली की नानी शास्त्रीय संगीत की ख्यात गायिका थीं। उसकी मम्मी और सुरीली, दोनों को सुरीला गला प्राकृतिक तौर पर मिला। घर में लक्ष्मीजी और सरस्वतीजी का वास था। कहते हैं कि पूत के पाँव पालने में दिख जाते हैं। कुछ ऐसा ही सुरीली के साथ हुआ। सुरीली के नाते – रिश्तेदारों को उसके हँसने – बोलने में भी फूल झरते हुए नज़र आते थे। संगीतमय प्रकृतिक पृष्ठ्भूमि होने के कारण गायन और वादन तो जेहन में ही रचा – बसा हुआ था। सुरीली की प्रतिभा को देखते हुए उसकी मम्मी ने घर पर ही संगीत की शिक्षा देने की व्यवस्था की। सुरीली का एक छोटा भाई भी राजू भी था। उसकी संगीत में विशेष रूचि नहीं थी।
स्कूल के संगीत कार्यक्रमों में सुरीली ने अपना परचम लहरा दिया। कोई भी कार्यक्रम हो या प्रतियोगिता, गायन की या वादन की, उसका जाना और प्रथम पुरस्कार पाना, पक्का था। हाँ एक बात तो बताना ही रह गई। पड़ोस में रहने वाली गुंजन आंटी का बेटा मोंटी जो कि सुरीली से एक साल बड़ा था, वो भी संगीत का अच्छा जानकार था। सुरीली के लगभग सभी कार्यक्रमों में पुरूष आवाज की प्रभावीत प्रस्तुति उसकी ही होती थी। मोंटी और सुरीली दोनों अच्छे दोस्त थे।
सुरीली ने स्कूल की प्रतियोगिताओं से परे 14 वर्ष की छोटी उम्र में ही राज्य सरकार द्वारा आयोजित की जाने वाली संगीत की प्रतिष्ठित प्रतियोगिता जीतकर खूब नाम कमाया। कार्यक्रम की प्रस्तुति के बाद प्रदेश के मुख्यामंत्री ने सुरीली को विशेष प्रशस्ति पत्र और एक लाख रुपये का पुरस्कार देते हुए उसके अच्छे भविष्य की कामना की।
कुछ लोगों के सुझाव पर उसने राष्ट्र स्तर की सारेगामा की ‘सितारे की खोज’ प्रतियोगिता का फॉर्म भर दिया। सारेगामा से ऑडिशन के लिए बुलावा आया और प्रारंभिक पायदान में हिस्सा लेने के लिए उसका चयन हो गया। मम्मी और मोंटी के साथ वो दिल्ली गई। एक के बाद एक दी गई उसकी समस्त प्रस्तुतियाँ बहुत उच्चस्तरीय रही। इतनी कम उम्र में इतना अच्छा गायन कार्यक्रम के जजों और आमन्त्रित श्रोताओं को लुभा गया। यहाँ भी सुरीली को प्रथम पुरस्कार से नवाजा गया। उसे राष्ट्रस्तर की मुंबई में होने वाली संगीत की सबसे बड़ी प्रतियोगिता में हिस्सा लेने का मौका भी मिला।
उत्साह वर्धन के लिए उसके पापा भी उनके साथ मुंबई गए। आयोजकों ने ही उनके रुकने की व्यवस्था की थी। कार्यक्रम एक बड़े सभागृह में रखा गया था। कुल 10 प्रतिभागी थे। भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के बड़े – बड़े नामचीन गीतकार, संगीतकार और गायक कलाकार वहाँ उपस्थित थे। कोई जज तो कोई संचालक था और कोई संगीत दे रहा था। सभी लोग अपनी – अपनी भूमिका संजीदगी और सकारात्मक भाव से निभा रहे थे। इससे प्रतिभागियों का भी उत्साहवर्धन हो रहा था। एक के बाद एक सभी ने अपनी – अपनी प्रस्तुतियाँ दी। सुरीली की ऐतिहासिक प्रस्तुति के दौरान मानो समय ही ठहर गया था। श्रोताओं के कान झंकृत हो गए थे। उसके मधुर गायन के पश्चात् सभी ने खड़े होकर 5 मिनट तक तालियों की गडगडाहट के साथ सुरीली का अभिवादन किया। एक अच्छी गायिका के रूप में वो फिल्म इंडस्ट्री की निगाह में आ गई।
इसके बाद तो सुरीली और उसके केरिअर को पंख लग गए। बोलीवूड के एक प्रसिध्द फिल्मकार ने उसे अपनी फिल्म में गाने का मौका दिया। फिल्म को जबरदस्त कामयाबी प्राप्त हुई और वो छा गई। उसके पास गायन के प्रस्तावों के ढेर लग गए। वो मंच की बड़ी – बड़ी प्रस्तुतियां भी देने लगी। क्या देश और क्या विदेश, सभी जगह उसकी धाक जमने लगी। खूब जमकर पैसा बरस रहा था। अधिकतर कार्यक्रमों में मोंटी ही साथ रहता था, पर पुराने रिश्तों में खिंचाव आने लगा था।
सुरीली का परिवार मुंबई रहने आ गया था। उन्होंने पाश लोकेशन पर एक बड़ा फ्लैट भी ले लिया था। सुरीली का अब रोज ही कहीं ना कहीं जाना लगा रहता था। कभी गाने की रिकॉर्डिंग तो कभी स्टेज शो। ये भी देश और विदेश के अलग – अलग शहरों में होने लगे थे। सुरीली के गाए हुए गानों की एक फिल्म को बहुत जबरदस्त सफलता प्राप्त हुई। सुरीली को इसके लिए फिल्म फेयर का प्रथम पुरस्कार प्राप्त हुआ। उस फिल्म के हीरो इशान को सर्वश्रेष्ठ नए नायक का सम्मान प्राप्त हुआ। इसी के साथ सुरीली और इशान का मिलना जुलना बढ़ गया। फिल्म इंडस्ट्री में उनकी दोस्ती के चर्चे होने लगे। उधर मोंटी भी फिल्मों में छोटी – मोटी भूमिकाएं करने लगा। सुरीली के साथ स्टेज शो में उसका कभी – कभी ही जाना होता था। भारत सरकार से सुरीली को बहुमूल्य प्रतिभा का धनी होने के कारण राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया।
एक और फिल्म जो कि देश के एक प्रतिष्ठित औधोगिक घराने के एकमात्र वारिस आकाश की प्रथम प्रस्तुति थी, जिसमे सुरीली के ही गाए हुए गाने थे, जबरदस्त सफल रही। इसकी सफलता के उपलक्ष्य में आकाश ने एक बड़ी पार्टी रखी जिसमें पूरी फिल्म इंडस्ट्री को निमंत्रण दिया गया था। वहां पर सुरीली और आकाश की कुछ नजदीकियां सामने आई।
कुछ समय बाद सुरीली ने अपना मनपसन्द साथी चुनकर घर बसा लिया और पिया के घर चली गई। पूरी उम्र गीत संगीत की दुनिया से जुड़कर बहुत खुश रही।