मानव जीवन के ज्ञात अज्ञात इतिहास में पांडवों की महारानी द्रोपदी को संसार की सर्वश्रेष्ठ सुंदरी माना गया है. पांडवों के बारह वर्ष के वनवास के पश्चात, अज्ञातवास के दौरान द्रोपदी को कुटिल नजरों से बचाए रखना बहुत कठिन कार्य था. द्रोपदी ने विराट नगर के महाराजा विराट की पत्नी सुदेष्णा की सेविका का दायित्व निभाया. इस जिम्मेदारी का निर्वहन करने के लिए महल से निकलने की जरुरत नहीं थी और राज खुलने का भय भी नहीं था. उस समय द्रोपदी अपने संपूर्ण लावण्य पर थी. इसी अज्ञातवास के समय द्रोपदी को सैरन्ध्री का नाम दिया गया.