Clock Wise (CW) – Anti-Clock Wise (ACW)
ब्रह्माण्ड का प्रत्येक गृह और नक्षत्र पूर्व से उत्तरवर्ती होते हुए पश्चिम में जाता हैं. प्रकृति के अनुसार चलने के कारण इसे हम सीधी दिशा में जाना कहते हैं (Anti-clock wise). दूसरी तरफ वर्तमान में प्रचलित घड़ियाँ पूर्व से दक्षिणवर्ती होते हुए पश्चिम में जाती है, अतः इसे हम उल्टी या विपरीत दिशा में जाना कहते हैं (Clock-wise).
वैदिक घड़ी – शुभ घड़ी – मंगल घड़ी क्या है?
Clock Wise (CW) – Anti-Clock Wise (ACW)
ब्रह्माण्ड का प्रत्येक गृह और नक्षत्र पूर्व से उत्तरवर्ती होते हुए पश्चिम में जाता हैं. प्रकृति के अनुसार चलने के कारण इसे हम सीधी दिशा में जाना कहते हैं (Anti-clock wise). दूसरी तरफ वर्तमान में प्रचलित घड़ियाँ पूर्व से दक्षिणवर्ती होते हुए पश्चिम में जाती है, अतः इसे हम उल्टी या विपरीत दिशा में जाना कहते हैं (Clock-wise).
वैदिक घड़ी – शुभ घड़ी – मंगल घड़ी क्या है?
सनातन धर्म घड़ी
अति सुंदर घड़ी,जो हमारे सनातन धर्म का दर्शन कराती है
12:00 बजने के स्थान पर आदित्य लिखा हुआ है जिसका अर्थ यह है कि सूर्य 12 प्रकार के होते हैं*
1:00 बजने के स्थान पर ब्रह्म लिखा हुआ है इसका अर्थ यह है कि ब्रह्म एक ही प्रकार का होता है ।
?️एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति।
2:00 बजने की स्थान पर अश्विन और लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य यह है कि अश्विनी कुमार दो हैं।
3:00 बजने के स्थान पर त्रिगुणः लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य यह है कि गुण तीन प्रकार के हैं —- सतोगुण रजोगुण तमोगुण।
4:00 बजने के स्थान पर चतुर्वेद लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य यह है कि वेद चार प्रकार के होते हैं — ऋग्वेद यजुर्वेद सामवेद और अथर्ववेद।
5:00 बजने के स्थान पर पंचप्राणा लिखा हुआ है जिसका तात्पर्य है कि प्राण पांच प्रकार के होते हैं ।
6:00 बजने के स्थान पर षड्र्स लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि रस 6 प्रकार के होते हैं ।
7:00 बजे के स्थान पर सप्तर्षि लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि सप्त ऋषि 7 हुए हैं ।
8:00 बजने के स्थान पर अष्ट सिद्धियां लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि सिद्धियां आठ प्रकार की होती है ।
9:00 बजने के स्थान पर नव द्रव्यणि अभियान लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि 9 प्रकार की निधियां होती हैं।
10:00 बजने के स्थान पर दश दिशः लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि दिशाएं 10 होती है।
11:00 बजने के स्थान पर रुद्रा लिखा हुआ है इसका तात्पर्य है कि रुद्र 11 प्रकार के हुए हैं।
इति सिद्धम।
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